मटर की अनेक वैरायटी देशभर में उगाई जाती है जो तकरीबन 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार भी दे सकती है अक्टूबर एवं नवंबर माह में मटर की खेती हेतु उपयुक्त किस्म आज हम इस लेख में जानेंगे जो अच्छा उत्पादन दे सकती है एवं अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मटर की उन्नत किस्में
देश में इस समय अनेक प्रकार की मटर की वेरायटी (किस्म) की बुवाई हो रही है, जिनमें से अनेक किस्म ऐसी है जो कीट एवं रोग से ग्रसित नहीं होती एवं उनकी मांग भी बाजारों में काफी बनी रहती है अच्छे उत्पादन हेतु मटर की खेती अक्टूबर एवं नवंबर माह में उपयुक्त मानी गई है अनेक राज्यों में सोयाबीन एवं मक्के की फसल की कटाई के बाद बोई जाती है ऐसे में यदि किसान साथी सही किस्म का इस्तेमाल समय पर चयन करें तो अच्छी पैदावार भी प्राप्त कर सकता है अच्छी पैदावार हेतु उन्नत किस्म ही किसान साठी चयन करें हाल ही में मटर की अनेक प्रकार की किस्म विकसित की जा रही है ताकि किसानों को अधिक लाभ मिले एवं लागत कमाए तो चलिए आज कुछ किस्म के बारे में जानते हैं जो किसानों के लिए उपयुक्त रहेगी।
मटर की वैरायटी अर्ली बैजर
अर्ली बैजर किस्म पकने में तकरीबन 65 से 70 दिनों का समय लेती है, इसकी फलिया 7 सेंटीमीटर लंबी एवं मोटी होती है एवं हल्का हरा रंग इसकी फलियां बनती है इसके दाने आकार में बड़े होते हैं एवं मीठे, झुर्रिदार होते हैं पैदावार की बात करें तो यह है 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादन दे सकती है.
मटर की किस्म काशी नन्दिनी (वी आर पी- 5)
इस किस्म के पौधे हरे एवम् छोटे यानी 45 cm तक वृद्धि करते हैं 35 दिन बुवाई होने के बाद इसमें 8 से 10 गांठे फूल में आने शुरू हो जाते हैं, इसकी फलियां मोटी होती है इसकी फलिया 60 दिन बाद तोड़ी जा सकती है यानी यह पकने में 55 से 60 दिन का समय लेती है उत्पादन में भी यह काफी अच्छी मानी गई है।
मटर की उन्नत किस्म विवेक मटर 8
इस किस्म की फलियां मध्यम आकार की हरे रंग की चिकनी एवं सीधी होती है,एवं पूर्ण रूप से यह भरी हुई फलियां से परिपूर्ण होती है, पकने में यह कम समय लेती है इस किस्म की खास बात यह है कि यह आशिता रोग के प्रति सहनशील मानी जाती है इसके बीच सिकुड़ हुए हरे रंग के बनते हैं पैदावार में यह 70 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दे सकती है।
मटर की किस्म पूसा श्री
इस किस्म को उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र में काफी उपयुक्त माना गया है, इसको विकसित 2013 में किया गया था, इसे पकने में 50 से 57 दिन तक लगते हैं प्रत्येक फली में इसके दाने 6 से 7 बनते हैं एवम् पैदावार की बात करें तो इससे 20 से 25 क्विंटल पड़ती है एकड़ के हिसाब से इसकी हरी फलिया प्राप्त की जा सकती है।
मटर की किस्म पंत मटर 155
इसकी पैदावार प्रति एकड़ के हिसाब से 18 क्विंटल तक प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रजाति की मटर की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बीमारी चूर्णी फफूंदी एवं गेरुई रोगों के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है एवं फली छेदक के प्रति भी है अवरोधी किस्म है इसके 500 दानों का ओसत वजन 100 ग्राम तक वजन के होते हैं।
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