Ganna Ki Kheti 2024 | बारिश के इस मौसम में करने गन्ना की फसल में पैदावार बढ़ाने के लिए अपना यह तरीका, जानें पूरी जानकारी 

किसानों को गन्ना की खेती (Ganna Ki Kheti) में बारिश के मौसम में पैदावार बढ़ाने और किट रोगों की रोकथाम के लिए क्या क्या करें, जानें पूरी जानकारी

 

 

Ganna Ki Kheti | हमारे देश में गन्ना की खेती  (Sugarcane Farming) कई राज्यों में किया जाता है। उसमें से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है। वहीं इसके अलावा बात करें तो देश के मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा राज्य में भी गन्ना की खेती किसान करते हैं। लेकिन किसानों को गन्ने की खेती (Ganna Ki Kheti) में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो इसके लिए कुछ जरूरी महत्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे गन्ना का उत्पादन अच्छा निकले जिससे किसानों के आमदनी में भी बढ़ेगी।

 

 

 

अभी मौजूदा समय में मानसून का सीजन है और ऐसे में किसानों को गन्ने की फसल में होने वाले नुकसान की काफी चिंता सता रही है। ऐसे में किसानों को इस बारिश के मौसम में गन्ने की फसल में बहुत सी समस्याएं देखने को मिलती है। जिससे उन्हें नुकसान की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। ऐसे में किसानों को इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा जुलाई महीने में कौन-कौन सी गन्ने की फसल में आने वाली समस्याओं से कैसे बचाया जा सकता है, इस पर किसानों को जरूरी सलाह दी है।

 

 

 

 

 

गन्ने की फसल में बारिश से होने वाला नुकसान (Ganna Ki Kheti)

 

 

किसान साथियों वैसे तो गन्ने की फसल में बारिश अच्छी होगी तो गन्ने के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर भारी मात्रा में बारिश हो तो गन्ना की फसल (sugarcane crop) में नुकसान भी देखने को मिलता है। क्योंकि बहुत से ऐसे क्षेत्र जहां पर भारी बारिश के चलते या बाढ़ के चलते गन्ने के खेत में पानी भरा रहता है। जिससे पौधों की जड़ गलने लगती है और फसल भी बर्बाद होने लगती है। ऐसे में किसानों को अपने गन्ने की फसल में से पानी निकालने की सही निकासी का प्रबंध अवश्य करना चाहिए। इस बारिश के मौसम में गन्ने की फसल में कई तरह के कीट रोग भी लगते हैं। जिसके चलते काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में किसानों को सही समय पर इन कीट रोग को रोकथाम करना बहुत जरूरी है। नहीं तो फसल (Ganna Ki Kheti) में काफी और भारी नुकसान देखने को मिल सकता है। ऐसे में किसानों को इस बारिश के मानसून सीजन में गन्ने की खेत में लगने वाले कीट रोगों की रोकथाम करना जरूरी है।

 

 

जुलाई महीने में गन्ना की फसल के नुकसान के बचाव में करें ये उपाय (Ganna Ki ki Kheti Mein Nuksan Se Bachav)

 

 

किसान साथियों मौजूदा समय में जुलाई का महीना चल रहा है ऐसे में किसानों को गन्ने की फसल में इस बारिश के मौसम में नुकसान से कैसे बचाया जाए और कीटों की रोकथाम कैसे की जाए। इसके लिए कुछ जरूरी कार्य करने बहुत आवश्यक है। इससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। ऐसे में किसानों को Ganna Ki Kheti में कौन-कौन से उपाय अपनाना चाहिए लिए जानते हैं….

 

 

1. गन्ने की उत्पादन अच्छा लेने के लिए बसंतकालीन गन्ने  की टॉप ड्रेसिंग करना चाहिए।

 

2. गन्ने की फसल में आपके यहां अच्छी बारिश हुई है ।तो आपको  बुवाई करने के बाद जो भी यूरिया की खाद  आधी मात्रा में बची है उसको दे देना चाहिए।

 

3. किसानों को गाने की फसल खड़ी में ही टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया की मात्रा 40 से 45 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डालना होगा।

 

4. जिन किसानों के द्वारा अपने गन्ने की फसल में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग को कर लिया गया है। वह  किसान पानी में घुलनशील  उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं जैसे 👉  पोटेशियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस प्रति एकड़ में 2 किलोग्राम  की मात्रा में लेकर 200 लीटर पानी के साथ गन्ने की फसल में स्प्रे द्वारा छिड़काव करें।

 

5. जिन किसानों के द्वारा गन्ने की फसल अच्छी तरह से बढ़वार हो चुका है। वे किसान इस जुलाई के महीने में मिट्टी चढ़ाने का काम भी कर लेना चाहिए क्योंकि इस समय मिट्टी नरम होती है और मिट्टी चढ़ाने में आसानी होगी।

 

6. इसके अलावा गाने की फसल में किसान इस समय पौधों की बधाई का कार्य भी कर सकते हैं ।क्योंकि आने वाले समय में तेज हवा के साथ पौधे नीचे नहीं गिरेंगे।

 

 

गन्ने की फसल में कीट व रोगों से छुटकारा 

 

Ganna Ki Kheti Me Kit Rog: किसान साथियों बारिश के इस मौसम में गन्ने की फसल में कीट रोग का प्रकोप भी अधिक लगने का खतरा रहता है ऐसे में इसकी नियंत्रण करना बहुत जरूरी है ऐसे में गन्ने/Ganna Ki Kheti के जिन भी खेतों में कीट या रोग का प्रकोप अधिक दिखाई दें वहां पर क्या-क्या उपाय करने चाहिए लिए जानते हैं…

 

1. गन्ना में तना बेधक कीट 

 

गन्ने की फसल में तना बेधक किट का अटैक ना हो इसके लिए किसान प्रति एकड़ में हर 10 दिन के बाद चरसी छह बार ट्राईकोग्रामा किलोनिस का इस्तेमाल जुलाई से अगस्त महीने के दौरान कर सकते हैं।

 

 

वही किसान भाइयों अगर आपके खेत में तना बेधक रोग का प्रकोप देखने को मिलता है तो ऐसी अवस्था में किसानों को इस रोग की रोकथाम के लिए प्रोफेनोफास 40% के साथ ट्राईजोफास 35 डेल्टामेशिन 1% या फिर आप सायपरमेथ्रिन 4 प्रतिशत ई.सी. की मिली प्रति लीटर पानी मैं अच्छी तरह से छिड़काव करें।

 

2. गन्ना में प्लासी बोरर कीट 

 

 

किसान भाइयों इस रोग की रोकथाम के लिए खेत के पास प्रकाश प्रपंच लगाना चाहिए। वहीं अगर गाने की फसल में प्लासी किट का प्रकोप देखने को मिले तो ऐसी स्थिति में किसानों को इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल का उपयोग एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।

 

3. गन्ना में पोक्काहा बोईंग रोग 

 

किसान भाइयों आपके गन्ना की फसल में पोक्काहा बोईंग रोग को समय पर रोकथाम करना चाहते हैं। तो आपको बरसात के इस समय में इसके उपाय करना पहले से ही शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि इस रोग के चलते पौधे की छोटी कोमल पत्तियां काली पड़ने शुरू हो जाती है और मुरझाने लगती है। और इसके साथ ही पौधों की पत्तियों की ऊपरी और निकली हिस्से में पत्ती फसल के पास से सिकुड़ने के साथ-साथ सफेद रंग के धब्बे भी दिखाई देने लगते हैं।

 

अगर आपके गन्ने की फसल में ऐसे ही लक्षण देखने को मिले। तो आपको इसको नियंत्रित करने का उपाय जरूर करना चाहिए और इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम की मात्रा प्रति लीटर फसल पर छिड़काव करना है। और हर 15 दिन के बाद इसी प्रक्रिया को दोहराना है और जिसको 2 से 3 बार छिड़काव करें।

 

 

 

4. गन्ना में अमरबेल खरपतवार की रोकथाम

 

Ganna Ki Kheti Me Kharpatwar| किसान भाइयों गन्ने की फसल में अमरबेल खरपतवार होने की स्थिति में काफी बड़ा नुकसान हो सकता है ऐसे में अमरबेल खरपतवार पौधे से लिपट जाता है और सभी पोषक तत्वों को अपनी ओर खींचता है। जिस कारण पौधे की बढ़वार रुकने के साथ-साथ सूखने लगता है। ऐसे में अगर आपकी खेत में अमरबेल खरपतवार दिखाई दे तो उसे जड़ से उखाड़ दें और मिट्टी में दवा देना चाहिए।

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